Here we provide NCERT Solutions for Class 9 Hindi Chapter 3 – उपभोक्तावाद की संस्कृति, Which will very helpful for every student in their exams. Students can download the latest NCERT Solutions for Class 9 Hindi Chapter 3 pdf. Now you will get step by step solution to each question.
Question 1:
लेखक के अनुसार जीवन में ‘सुख’ से क्या अभिप्राय है?
Answer:
लेखक के अनुसार उपभोग का भोग करना ही सुख है। अर्थात् जीवन को सुखी बनाने वाले उत्पाद का ज़रूरत के अनुसार भोग करना ही जीवन का सुख है।
Question 2:
आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित कर रही है?
Answer:
आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे जीवन पर हावी हो रही है। मनुष्य आधुनिक बनने की होड़ में बौद्धिक दासता स्वीकार कर रहे हैं, पश्चिम की संस्कृति का अनुकरण किया जा रहा है। आज उत्पाद को उपभोग की दृष्टि से नहीं बल्कि महज दिखावे के लिए खरीदा जा रहा है। विज्ञापनों के प्रभाव से हम दिग्भ्रमित हो रहे हैं।
Question 3:
गांधी जी ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा है?
Answer:
उपभोक्ता संस्कृति से हमारी सांस्कृतिक अस्मिता का ह्रास हो रहा है। इसके कारण हमारी सामाजिक नींव खतरे में है। मनुष्य की इच्छाएँ बढ़ती जा रही है, मनुष्य आत्मकेंद्रित होता जा रहा है। सामाजिक दृष्टिकोण से यह एक बड़ा खतरा है। भविष्य के लिए यह एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि यह बदलाव हमें सामाजिक पतन की ओर अग्रसर कर रहा है।
Page No 39:
Question 5:
कोई वस्तु हमारे लिए उपयोगी हो या न हो, लेकिन टी.वी. पर विज्ञापन देखकर हम उसे खरीदने के लिए अवश्य लालायित होते हैं? क्यों?
Answer:
आज का मनुष्य विज्ञापन के बढ़ते प्रभाव से स्वयं को मुक्त नहीं कर पाया है। आज विज्ञापन का सम्बन्ध केवल सुख-सुविधा से नहीं है बल्कि समाज में अपने प्रतिष्ठा की साख को कायम रखना ही विज्ञापन का मुख्य उद्देश्य बन चुका है। यही कारण है कि जब भी टी.वी. पर किसी नई वस्तु का विज्ञापन आता है तो लोग उसे खरीदने के लिए लालायित हो उठते हैं।
Question 6:
आपके अनुसार वस्तुओं को खरीदने का आधार वस्तु की गुणवत्ता होनी चाहिए या उसका विज्ञापन? तर्क देकर स्पष्ट करें।
Answer:
वस्तुओं को खरीदने का आधार उसकी गुणवत्ता होनी चाहिए क्योंकि विज्ञापन केवल उस वस्तु को लुभाने का प्रयास करता है। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि अच्छी किस्म की वस्तु का विज्ञापन साधारण होता है।
Question 7:
पाठ के आधार पर आज के उपभोक्तावादी युग में पनप रही ‘दिखावे की संस्कृति’ पर विचार व्यक्त कीजिए।
Answer:
“जो दिखता है वही बिकता है”। आज के युग ने इसी कथ्य को स्वीकारा है। ज़्यादातर लोग अच्छे विज्ञापन, उत्पाद के प्रतिष्ठा चिह्न को देखकर प्रभावित होते हैं। दिखावे की इस संस्कृति ने समाज के विभिन्न वर्गों के बीच दूरियाँ बढ़ा दी है। यह संस्कृति मनुष्य में भोग की प्रवृति को बढ़ावा दे रही है। हमें इस पर नियंत्रण करना चाहिए।
Question 8:
आज की उपभोक्ता संस्कृति हमारे रीति-रिवाजों और त्योहारों को किस प्रकार प्रभावित कर रही है? अपने अनुभव के आधार पर एक अनुच्छेद लिखिए।
Answer:
उपभोक्तावादी संस्कृति से हमारे रीति-रिवाज़ और त्योहार भी बहुत हद तक प्रभावित हुए हैं। आज त्योहार, रीति-रिवाज़ का दायरा सीमित होता जा रहा। त्योहारों के नाम पर नए-नए विज्ञापन भी बनाए जा रहे हैं; जैसे-त्योहारों के लिए खास घड़ी का विज्ञापन दिखाया जा रहा है, मिठाई की जगह चॉकलेट ने ले ली है। आज रीति-रिवाज़ का मतलब एक दूसरे से अच्छा लगना हो गया है। इस प्रतिस्पर्धा में रीति-रिवाज़ों का सही अर्थ कहीं लुप्त हो गया है।
Question 4:
आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) जाने-अनजाने आज के माहौल में आपका चरित्र भी बदल रहा है और आप उत्पाद को समर्पित होते जा रहे हैं।
(ख) प्रतिष्ठा के अनेक रूप होते हैं, चाहे वे हास्यास्पद ही क्यों न हो।
Answer:
(क) आज का समाज उपभोक्तावादी समाज है जो विज्ञापन से प्रभावित हो रहा है। आज लोग केवल अपनी सुख-सुविधा के लिए उत्पाद नहीं खरीदते बल्कि उत्पाद खरीदने के पीछे उनका मकसद समाज में अपनी हैसियत और प्रतिष्ठा को कायम रखना है। उदाहरण के लिए पहले केवल तेल-साबुन तथा क्रीम से हमारा काम चल जाता था लेकिन आज प्रतिष्ठित बनने की होड़ में लोग सबसे कीमती साबुन, फेस-वॉश का इस्तेमाल कर रहे हैं।
(ख) उपभोक्तावाद के बढ़ते प्रभाव ने मनुष्य को सुविधाभोगी बना दिया। परन्तु आज सुख-सुविधा का दायरा बढ़कर, समाज में प्रतिष्ठिता बढ़ाने का साधन बन गया है। स्वयं को समाज में प्रतिष्ठित बनाने के लिए लोग कभी-कभी हँसी के पात्र बन जाते हैं। यूरोप के कुछ देशों में मरने से पहले लोग अपनी कब्र के आस-पास सदा हरी घास, मन चाहे फूल लगवाने के लिए पैसे देते हैं। भारत में भी यह संभव हो सकता है। ऐसी उपभोक्तावादी इच्छा हास्यापद ही है।
Question 9:
धीरे-धीरे सब कुछ बदल रहा है।
इस वाक्य में ‘बदल रहा है’ क्रिया है। यह क्रिया कैसे हो रही है – धीरे-धीरे। अत: यहॉँ धीरे-धीरे क्रिया-विशेषण है। जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं, क्रिया-विशेषण कहलाते हैं। जहाँ वाक्य में हमें पता चलता है क्रिया कैसे, कब, कितनी और कहाँ हो रही है, वहाँ वह शब्द क्रिया-विशेषण कहलाता है।
(क) ऊपर दिए गए उदाहरण को ध्यान में रखते हुए क्रिया-विशेषण से युक्त लगभग पाँच वाक्य पाठ में से छाँटकर लिखिए।
(ख) धीरे–धीरे, ज़ोर से, लगातार, हमेशा, आजकल, कम, ज़्यादा, यहाँ, उधर, बाहर – इन क्रिया-विशेषण शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए।
(ग) नीचे दिए गए वाक्यों में से क्रिया-विशेषण और विशेषण शब्द छाँटकर अलग लिखिए –
वाक्य क्रिया–विशेषण विशेषण
(1) कल रात से निरंतर बारिश हो रही है।
(2) पेड़ पर लगे पके आम देखकर
बच्चों के मुँह में पानी आ गया।
(3) रसोईघर से आती पुलाव की हलकी
खुशबू से मुझे ज़ोरों की भूख लग आई।
(4) उतना ही खाओ जितनी भूख है।
(5) विलासिता की वस्तुओं से आजकल
बाज़ार भरा पड़ा है।
Answer:
(क) क्रिया-विशेषण से युक्त शब्द –
(1) एक छोटी–सी झलक उपभोक्तावादी समाज की।
(2) आप उसे ठीक तरह चला भी न सकें।
(3) हमारा समाज भी अन्य-निर्देशित होता जा रहा है।
(4) लुभाने की जी तोड़ कोशिश में निरंतर लगी रहती हैं।
(5) एक सुक्ष्म बदलाव आया है।
(ख) क्रिया-विशेषण शब्दों से बने वाक्य –
(1) धीरे–धीरे– धीरे-धीरे मनुष्य के स्वभाव में बदलाव आया है।
(2) ज़ोर से– इतनी ज़ोर से शोर मत करो।
(3) लगातार– बच्चे शाम से लगातार खेल रहे हैं।
(4) हमेशा – वह हमेशा चुप रहता है।
(5) आजकल – आजकर बहुत बारिश हो रही है।
(6) कम – यह खाना राजीव के लिए कम है।
(7) ज़्यादा – ज़्यादा क्रोध करना हानिकारक है।
(8) यहाँ – यहाँ मेरा घर है।
(9) उधर– उधर बच्चों का स्कूल है।
(10) बाहर – अभी बाहर जाना मना है।
(ग) क्रिया–विशेषण विशेषण
(1) निरंतर कल रात
(2) मुँह में पानी पके आम
(3) भूख हल्की खुशबू
(4) भूख उतना, जितना
(5) आजकल भरा
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Question 1:
लेखक के अनुसार जीवन में ‘सुख’ से क्या अभिप्राय है?
Answer:
लेखक के अनुसार उपभोग का भोग करना ही सुख है। अर्थात् जीवन को सुखी बनाने वाले उत्पाद का ज़रूरत के अनुसार भोग करना ही जीवन का सुख है।
Question 2:
आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित कर रही है?
Answer:
आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे जीवन पर हावी हो रही है। मनुष्य आधुनिक बनने की होड़ में बौद्धिक दासता स्वीकार कर रहे हैं, पश्चिम की संस्कृति का अनुकरण किया जा रहा है। आज उत्पाद को उपभोग की दृष्टि से नहीं बल्कि महज दिखावे के लिए खरीदा जा रहा है। विज्ञापनों के प्रभाव से हम दिग्भ्रमित हो रहे हैं।
Question 3:
गांधी जी ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा है?
Answer:
उपभोक्ता संस्कृति से हमारी सांस्कृतिक अस्मिता का ह्रास हो रहा है। इसके कारण हमारी सामाजिक नींव खतरे में है। मनुष्य की इच्छाएँ बढ़ती जा रही है, मनुष्य आत्मकेंद्रित होता जा रहा है। सामाजिक दृष्टिकोण से यह एक बड़ा खतरा है। भविष्य के लिए यह एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि यह बदलाव हमें सामाजिक पतन की ओर अग्रसर कर रहा है।
Page No 39:
Question 5:
कोई वस्तु हमारे लिए उपयोगी हो या न हो, लेकिन टी.वी. पर विज्ञापन देखकर हम उसे खरीदने के लिए अवश्य लालायित होते हैं? क्यों?
Answer:
आज का मनुष्य विज्ञापन के बढ़ते प्रभाव से स्वयं को मुक्त नहीं कर पाया है। आज विज्ञापन का सम्बन्ध केवल सुख-सुविधा से नहीं है बल्कि समाज में अपने प्रतिष्ठा की साख को कायम रखना ही विज्ञापन का मुख्य उद्देश्य बन चुका है। यही कारण है कि जब भी टी.वी. पर किसी नई वस्तु का विज्ञापन आता है तो लोग उसे खरीदने के लिए लालायित हो उठते हैं।
Question 6:
आपके अनुसार वस्तुओं को खरीदने का आधार वस्तु की गुणवत्ता होनी चाहिए या उसका विज्ञापन? तर्क देकर स्पष्ट करें।
Answer:
वस्तुओं को खरीदने का आधार उसकी गुणवत्ता होनी चाहिए क्योंकि विज्ञापन केवल उस वस्तु को लुभाने का प्रयास करता है। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि अच्छी किस्म की वस्तु का विज्ञापन साधारण होता है।
Question 7:
पाठ के आधार पर आज के उपभोक्तावादी युग में पनप रही ‘दिखावे की संस्कृति’ पर विचार व्यक्त कीजिए।
Answer:
“जो दिखता है वही बिकता है”। आज के युग ने इसी कथ्य को स्वीकारा है। ज़्यादातर लोग अच्छे विज्ञापन, उत्पाद के प्रतिष्ठा चिह्न को देखकर प्रभावित होते हैं। दिखावे की इस संस्कृति ने समाज के विभिन्न वर्गों के बीच दूरियाँ बढ़ा दी है। यह संस्कृति मनुष्य में भोग की प्रवृति को बढ़ावा दे रही है। हमें इस पर नियंत्रण करना चाहिए।
Question 8:
आज की उपभोक्ता संस्कृति हमारे रीति-रिवाजों और त्योहारों को किस प्रकार प्रभावित कर रही है? अपने अनुभव के आधार पर एक अनुच्छेद लिखिए।
Answer:
उपभोक्तावादी संस्कृति से हमारे रीति-रिवाज़ और त्योहार भी बहुत हद तक प्रभावित हुए हैं। आज त्योहार, रीति-रिवाज़ का दायरा सीमित होता जा रहा। त्योहारों के नाम पर नए-नए विज्ञापन भी बनाए जा रहे हैं; जैसे-त्योहारों के लिए खास घड़ी का विज्ञापन दिखाया जा रहा है, मिठाई की जगह चॉकलेट ने ले ली है। आज रीति-रिवाज़ का मतलब एक दूसरे से अच्छा लगना हो गया है। इस प्रतिस्पर्धा में रीति-रिवाज़ों का सही अर्थ कहीं लुप्त हो गया है।
Question 4:
आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) जाने-अनजाने आज के माहौल में आपका चरित्र भी बदल रहा है और आप उत्पाद को समर्पित होते जा रहे हैं।
(ख) प्रतिष्ठा के अनेक रूप होते हैं, चाहे वे हास्यास्पद ही क्यों न हो।
Answer:
(क) आज का समाज उपभोक्तावादी समाज है जो विज्ञापन से प्रभावित हो रहा है। आज लोग केवल अपनी सुख-सुविधा के लिए उत्पाद नहीं खरीदते बल्कि उत्पाद खरीदने के पीछे उनका मकसद समाज में अपनी हैसियत और प्रतिष्ठा को कायम रखना है। उदाहरण के लिए पहले केवल तेल-साबुन तथा क्रीम से हमारा काम चल जाता था लेकिन आज प्रतिष्ठित बनने की होड़ में लोग सबसे कीमती साबुन, फेस-वॉश का इस्तेमाल कर रहे हैं।
(ख) उपभोक्तावाद के बढ़ते प्रभाव ने मनुष्य को सुविधाभोगी बना दिया। परन्तु आज सुख-सुविधा का दायरा बढ़कर, समाज में प्रतिष्ठिता बढ़ाने का साधन बन गया है। स्वयं को समाज में प्रतिष्ठित बनाने के लिए लोग कभी-कभी हँसी के पात्र बन जाते हैं। यूरोप के कुछ देशों में मरने से पहले लोग अपनी कब्र के आस-पास सदा हरी घास, मन चाहे फूल लगवाने के लिए पैसे देते हैं। भारत में भी यह संभव हो सकता है। ऐसी उपभोक्तावादी इच्छा हास्यापद ही है।
Question 9:
धीरे-धीरे सब कुछ बदल रहा है।
इस वाक्य में ‘बदल रहा है’ क्रिया है। यह क्रिया कैसे हो रही है – धीरे-धीरे। अत: यहॉँ धीरे-धीरे क्रिया-विशेषण है। जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं, क्रिया-विशेषण कहलाते हैं। जहाँ वाक्य में हमें पता चलता है क्रिया कैसे, कब, कितनी और कहाँ हो रही है, वहाँ वह शब्द क्रिया-विशेषण कहलाता है।
(क) ऊपर दिए गए उदाहरण को ध्यान में रखते हुए क्रिया-विशेषण से युक्त लगभग पाँच वाक्य पाठ में से छाँटकर लिखिए।
(ख) धीरे–धीरे, ज़ोर से, लगातार, हमेशा, आजकल, कम, ज़्यादा, यहाँ, उधर, बाहर – इन क्रिया-विशेषण शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए।
(ग) नीचे दिए गए वाक्यों में से क्रिया-विशेषण और विशेषण शब्द छाँटकर अलग लिखिए –
वाक्य क्रिया–विशेषण विशेषण
(1) कल रात से निरंतर बारिश हो रही है।
(2) पेड़ पर लगे पके आम देखकर
बच्चों के मुँह में पानी आ गया।
(3) रसोईघर से आती पुलाव की हलकी
खुशबू से मुझे ज़ोरों की भूख लग आई।
(4) उतना ही खाओ जितनी भूख है।
(5) विलासिता की वस्तुओं से आजकल
बाज़ार भरा पड़ा है।
Answer:
(क) क्रिया-विशेषण से युक्त शब्द –
(1) एक छोटी–सी झलक उपभोक्तावादी समाज की।
(2) आप उसे ठीक तरह चला भी न सकें।
(3) हमारा समाज भी अन्य-निर्देशित होता जा रहा है।
(4) लुभाने की जी तोड़ कोशिश में निरंतर लगी रहती हैं।
(5) एक सुक्ष्म बदलाव आया है।
(ख) क्रिया-विशेषण शब्दों से बने वाक्य –
(1) धीरे–धीरे– धीरे-धीरे मनुष्य के स्वभाव में बदलाव आया है।
(2) ज़ोर से– इतनी ज़ोर से शोर मत करो।
(3) लगातार– बच्चे शाम से लगातार खेल रहे हैं।
(4) हमेशा – वह हमेशा चुप रहता है।
(5) आजकल – आजकर बहुत बारिश हो रही है।
(6) कम – यह खाना राजीव के लिए कम है।
(7) ज़्यादा – ज़्यादा क्रोध करना हानिकारक है।
(8) यहाँ – यहाँ मेरा घर है।
(9) उधर– उधर बच्चों का स्कूल है।
(10) बाहर – अभी बाहर जाना मना है।
(ग) क्रिया–विशेषण विशेषण
(1) निरंतर कल रात
(2) मुँह में पानी पके आम
(3) भूख हल्की खुशबू
(4) भूख उतना, जितना
(5) आजकल भरा
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I think you got complete solutions for this chapter. If You have any queries regarding this chapter, please comment on the below section our subject teacher will answer you. We tried our best to give complete solutions so you got good marks in your exam.